वाइडएंगल ऑफ लाइफ

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन का एक मर्मस्पर्शी प्रेरक प्रसंग

प्रेरक प्रसंग

क्षमा

देश को मिसाइल और स्पेस (अंतरिक्ष) टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कामयाबी की ऊंचाइयों पर ले जाने वाले महान वैज्ञानिक और बेहतरीन मोटिवेशनल लीडर के रूप में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन और कार्य हमारे लिए जितने प्रेरक हैं उतनी ही प्रेरक और मर्मस्पर्शी उनके जीवन की घटनाएं भी। प्रस्तुत है डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन का एक दिल छू लेने वाला प्रसंग जो किसी को भी एक बेहतर इंसान बनने के लिए सहज ही प्रेरित कर सकता है।

नई पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत : डॉ कलाम

यह कहानी दर्शाती है कैसे मनुष्य का महान होना केवल उसके अपने कर्मों से ही नहीं बल्कि उसके बचपन के संस्कारों और उसकी परवरिश पर भी निर्भर करता है।

बात उनके बचपन की है। डॉ कलाम के पिता रामेश्वरम में एक नाविक थे (और स्थानीय मस्जिद के इमाम भी) जो अपनी नाव से हिंदू यात्रियों को रामेश्वरम से धनुषकोडी लाने ले जाने का काम करते थे। अपने बचपन की यह कहानी डॉ. कलाम ने खुद कहीं सुनाई थी। मुझे यह कहानी इंटरनेट पर कहीं अंग्रेजी में पढ़ने को मिली।

“घर में मां रसोई तैयार कर सबको खिलाती थीं। एक बार सारा दिन और देर शाम तक किसी काम में व्यस्त रहने के बाद जब मां ने रात की रसोई तैयार कीं तो उनसे रोटियां जल गईं। उन्होंने जली हुई रोटियां ही सब्जी के साथ पिताजी की थाली में परोस दीं।

मैं पिताजी की प्रतिक्रिया देख रहा था। मुझे लगा वे कुछ कहेंगे। लेकिन, उन्होंने तो ऐसे आराम से खाया जैसे कुछ हुआ ही न हो। फिर वे मुझसे स्कूल के मेरे दिन भर की घटनाओं के बारे में बातें करने लगे।

मुझे यह तो याद नहीं कि उस रात मैंने उन्हें क्या-क्या बताया, लेकिन मुझे यह याद है कि मां उनसे जली रोटी का अफसोस कर रही थीं।

और मुझे पिताजी के वे शब्द भी याद हैं जो उन्होंने मां से कहे थे, ‘अब्दुल की अम्मा, मुझे जली रोटियां पसंद हैं।’

बाद में उस रात जब मैं पिताजी से लाड़ करने और उन्हें शुभ रात्रि कहने पहुंचा तो पूछ लिया कि क्या उन्हें सचमुच जली रोटियां पसंद हैं। उन्होंने मुझे गोद में भर लिया और कहा, ‘बेटे, आपकी मां ने आज सारा दिन काम किया और वे बहुत थकी हुई थीं।
..और, आपको मालूम है, जली रोटियों से अधिक मेरे वे शब्द उन्हें तकलीफ पहुंचाते जो मैं उनसे शिकायत में कहता।

उन्होंने कहा, “पता है बेटा, जिंदगी में सारी चीजें मुकम्मल नहीं होतीं, …लोग भी मुकम्मल नहीं होते”।

मैं ही कहां मुकम्मल हूं। कितनी चीजें मुझसे गलत हो जाती हैं। सबकी तरह मुझसे भी लोगों के नाम, उनके जन्मदिन याद नहीं रहते। इतने वर्षों में मैंने जो सीखा वह यह कि दूसरों को उनकी गलतियों से साथ स्वीकार कीजिए। उनकी गलतियों को नजरअंदाज कीजिए। जरूरी चीज है रिश्तों का जश्न मनाना!

जिंदगी बहुत छोटी है। किसी को खेद और पश्चाताप की ओर धकेल कर इसे और छोटी न करें। जो आपसे अच्छा बरताव करें उनका शुक्रिया, और जो न करें उनके प्रति करुणा। यही है जीवन में खुश रहने का राज!

प्रख्यात वैज्ञानिक मिसाइल-मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत की उन विभूतियों में शुमार है जिनका नाम इस देश की आधुनिक प्रगति के इतिहास से कभी मिट नहीं सकता। पिछले दशक के लाखों स्कूली बच्चों को उनकी सजीव उपस्थिति को महसूस करने का सौभाग्य मिला। लाखों छात्रों ने उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण की। आज भी, जब वे सदेह हमारे बीच नहीं हैं तब भी, मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों के लिए वे हमेशा प्रेरणा श्रोत बने रहेंगे।

 

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